हर कोई उसके बारे में जानना चाहता था जो खुद से ही अंजान थी ...
उसका नाम तो उसी की तरह अनसुलझी सी एक पहेली बन चुका था , कोई उसे पगली तो कोई उसे निकम्मी आदि नामों से संबोधित करता था। वह इन सब का बुरा ना मान कर हंसती मुस्कुराती सदा अपने अंदाज में खुश रहती थी।
एक दिन रविवार का सुबह का समय था सब अपने कामों में व्यस्त थे गांव का नाई जो कि एक हट्टा कट्टा मोटा सा पहलवान की तरह दिखने वाला व्यक्ति था जिसे सब बलवंत नाई के नाम से संबोधित करते थे, वह मुखिया जी ( एक साधारण से सीधे साधे गांव के व्यक्ति) की हजामत कर रहा था तभी वहां एक कार आकर रुकी और उन्होंने देखा कि उसमें से एक व्यक्ति बाहर निकला जो कि लगभग 30 से 35 वर्ष का नौजवान था जिसने सीधे-साधे कपड़े पहन रखे थे और किसी हवेली का शासक लग रहा था। उसने बड़ी सरलता से मुखिया जी से कुछ पूछा वह मुखिया जी ने इशारा करते हुए उसका अभिवादन किया।
वह नौजवान व्यक्ति को पहले कभी भी गांव में नहीं देखा गया था और ना ही कभी उसी के बारे में कुछ सुना गया था। मुखिया जी उसे अपने घर ले गए और उसका काफी आदर सत्कार किया।
पूरे गांव में यह बात आग की तरह फैल गई कि मुखिया जी ने एक अनजान अजनबी व्यक्ति को अपने घर में शरण दी है तथा उसका भरपूर स्वागत सत्कार किया है। आखिर वो व्यक्ति कौन था जो मुखिया जी से इतना परिचित था जबकि उसके स्वभाव से ऐसा प्रतीत हो रहा था की वह मुखिया जी से पहली बार मिला है।
हर रात्रि को गांव के मध्य एक बैठक होती थी जिसमें गांव के सभी लोगों द्वारा अपने गांव में विकास करने के उपायों के बारे में समीक्षा की जाती थी। ऐसा गांव में कभी नहीं हुआ जैसा उस दिन हुआ, उस दिन मुखिया जी इस बैठक में उपस्थित नहीं हुए।
भोला काका जो गांव के सबसे बुजुर्ग आदमी थे
उन्होंने कहा कि मुखिया जी को कुछ आवश्यक कार्य होगा इसलिए वह आज उपस्थित नहीं हो पाए हैं लेकिन हमें फिर भी इस बैठक को पूरा करना है और अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभानी है। गांव वाले जो कि भोला काका को अपने पिता तुल्य समझते थे और उनकी कही हुई बात को नहीं टालते थे तो उन्होंने इस बैठक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और गांव में उत्पन्न समस्याओं पर विचार किया।
बैठक में बीच-बीच में कुछ कानाफूसी हो रही थी जिस पर भोला काका ने डांट लगाकर लोगों को शांत कराया।
अगले दिन सब लोगों ने देखा कि वह व्यक्ति जो मुखिया जी के घर आया था वह वापस अपने कार के द्वारा जा रहा है। सभी यह जानने को उत्सुक है कि आखिर वह व्यक्ति कौन था जो कि मुखिया जी के यहां रात को रुका था और सुबह होते ही निकल रहा था जिसके कारण मुखिया जी ने इतने वर्षों से जो बैठक चल रही थी उसमें उपस्थिति दर्ज कराई थी लेकिन उस व्यक्ति के आने पर उन्होंने उपस्तिथि दर्ज नहीं कराई। तब मुखिया जी ने उन्हें बताया कि मैं रात की बैठक को इसके बारे में सब को बताऊंगा।